स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम 16 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार ने स्टार्टअप कंपनियों के लिए वित्तीय सहायता, अधिनियम, प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं प्रदान करने का लक्ष्य रखा था। स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के तहत अब तक लगभग 50,000 स्टार्टअप कंपनियों को रजिस्टर किया जा चुका है। इन कंपनियों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अद्भुत प्रगति दर्शाई है।
निम्नलिखित विशेषताएं शामिल हैं:
- स्टार्टअप को 10,000 से 10 करोड़ तक का ऋण प्रदान किया जाता है।
- उद्यमियों को रजिस्ट्रेशन और लायसेंसिंग की तत्काल सुविधा दी जाती है।
- स्टार्टअप के लिए राज्य सरकारों द्वारा स्थानों का निर्धारण किया जाता है, जो इन्हें निर्धारित वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
- स्टार्टअप कंपनियों को सरकारी विभागों और निजी कंपनियों से संबंधित सेवाओं और उत्पादों के लिए प्राथमिकता दी जाती है।
भारत सरकार ने 16 May 2023 को एक नई नीति की घोषणा की है जो स्टार्टअप और MSME (माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज) कंपनियों को मर्ज और अधिग्रहण करने में आसानी प्रदान करने के लिए बनाई गई है। इस नई नीति का उद्देश्य स्टार्टअप कंपनियों के विकास को बढ़ावा देना है और साथ ही साथ MSME कंपनियों को बड़ी कंपनियों के साथ मर्ज और अधिग्रहण में आसानी प्रदान करना है।
15 जून 2023 से प्रभावी होगा यह नियम:
नई नीति के अंतर्गत, स्टार्टअप और MSME कंपनियों के मर्जर और अधिग्रहण को 15-60 दिनों के भीतर मंजूरी दी जाएगी, जो पहले से तेज और सरल बनाएगा। यह भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पूंजी और नियामकीय समस्याओं के कारण संघर्ष कर रही है।